मंदबुद्धि की मित्रता, है जी का जंजाल.
आपकी सादगी ही आपको सुंदर बनाती है...!
ज़िक्र-ए-वफ़ा हो या बात हो बेवफ़ाई की ,
*देना प्रभु जी स्वस्थ तन, जब तक जीवित प्राण(कुंडलिया )*
आवारग़ी भी ज़रूरी है ज़िंदगी बसर करने को,
* अंदरूनी शक्ति ही सब कुछ *
मजा मुस्कुराने का लेते वही,
अगर तू दर्द सबका जान लेगा।
Tum ibadat ka mauka to do,
अच्छे कर्मों का फल (लघुकथा)
पर्दा हटते ही रोशनी में आ जाए कोई