विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य
कभी अपनेे दर्दो-ग़म, कभी उनके दर्दो-ग़म-
बहुत नफा हुआ उसके जाने से मेरा।
ये सच है कि सबसे पहले लोग
खिचड़ी यदि बर्तन पके,ठीक करे बीमार । प्यासा की कुण्डलिया
"पँछियोँ मेँ भी, अमिट है प्यार..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जो न चाहे दिल वही अपनाना पड़ता है यहाॅं
मुझे दर्द सहने की आदत हुई है।
जीवन को जीवन की तरह ही मह्त्व दे,
ये आप पर है कि ज़िंदगी कैसे जीते हैं,
आँखों की गहराइयों में बसी वो ज्योत,
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
*सत्ता कब किसकी रही, सदा खेलती खेल (कुंडलिया)*
बदनाम ये आवारा जबीं हमसे हुई है
बुंदेली दोहा- चंपिया
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'