शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
जैसे किसी गंदे नाले से दुर्गंध उठा करती है उसी तरह से मन में यदि बुरे भाव हॅं तो भावनाऐँ भी दूषित उठा करती हैं और जीवन दुर्गंधित हो जाता है जिसे केवल भक्तिभाव से सँवारा जा सकता है । प्रभु का नाम मन को सुवास से भर देता है ।
जय श्री राधे !
जय श्री कृष्ण !
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-महेश जैन ‘ज्योति’