शुभांगी छंद
शुभांगी छंद
बनना मेरा,मैं भी तेरा,हम दोनों अब,मिल जाएं।
दोनों गाएं,गीत सुनाएं,अति मन भाएं,खिल जाएं।
मिलन हमेशा,नित्य रहेगा, हो आँखों में,स्नेह सदा।
देख प्रीति को,सौम्य रीति को,सहज प्रफुल्लित,हो वसुधा।
प्रेम योग का,दीवाना मन,मस्ताना तन,सुख पाए।
हो नित सावन,सत शिव भावन,हृदय सुहावन,हर्षाए।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।