शुभांगी छंद
शुभांगी छंद
हाय मिलन का,हाल न पूछो,कितना मोहक,अति अनुपम।
स्वर्ग लोक की,छटा मनोरम,अद्भुत शीतल,सत्य शिवम।।
प्रिय आकर्षक, खींचत चुम्बक,मधुरिम बोधक,सुख साध्या।
मनमोहन है,संबोधन है,हृद रुचिकर है,आराध्या।।
शिव निर्मलता,नित कोमलता,अति भावुकता,सुखदानी।
शुभ अक्षयता,मन निर्भयता,मधुमय सरिता,सम्मानी।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।