शुद्धगीता छंद
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शुद्धगीता छंद
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गेंद दह में गिर गई तो, संग कूदे नंदलाल ।
देख कर रोने लगे सब, गोप गोपी ग्वाल बाल ।।
माँ यशोदा नंद बाबा , रो रहे मन बैठ मार ।
कालिया से नाग के फन ,पर कन्हैया था सवार ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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🪷🪷🪷