शीशे मे इक बार
यूँ ही तो मरता नहीं, यह जग तुम पर यार !
कभी सँवर कर देखना, .शीशे में इक बार !!
आईने की है यही, हसरत बारम्बार !
करे बिठाकर सामने, तेरा यह शृंगार !!
रमेश शर्मा.
यूँ ही तो मरता नहीं, यह जग तुम पर यार !
कभी सँवर कर देखना, .शीशे में इक बार !!
आईने की है यही, हसरत बारम्बार !
करे बिठाकर सामने, तेरा यह शृंगार !!
रमेश शर्मा.