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17 May 2023 · 1 min read

शीर्षक 🌹 मां 🌹

जग में मेरे अस्तित्व और सर्वस्व की
पहचान है माँ,

हमारे जन्म से मरण तक आंचल की
छांव है माँ,

पेट भरने पर भी दो -तीन कौर और
खिलाती है माँ,

हमारे शैतानी करने पर कान पकड़
सिखाती है माँ ,

जीवन के सभी नव रसों का ज्ञान हमें
देती है माँ,

रात भर जग -जग कर चैन की नींद
सुलाती है माँ,

डांट मार कर स्वयं आंखों से आंसू
बहाती है माँ,

गलती होने पर नियमों को आत्मसात
कराती है माँ,

जीवन की हर खुशी हम पर निछावर
करती है माँ,

जीवन संघर्ष की तपिश में शीतल छाया
देती है माँ,

हमारे हसँने में हँसती हमारे रोने पर बहुत
रोती है माँ,

प्यार भरे हाथों से दिन की थकान मिटा
देती है माँ,

दुनिया के तौरतरीके सहजता से याद
दिलाती है माँ,

हिम्मत करआगे बढ़ गिरकर उठना
सिखाती है माँ,

लबों पर दुआ ले हमारा विजय -पथ
बनाती है माँ,

राम-कृष्ण भी जिसकी ममता में बंधतें
ऐसी है माँ,

शब्द ही नहीं क्या बयां करूं धरती पर
देवी है माँ।

मौलिक और अप्रकाशित रचना

डॉ. रश्मि मिश्रा

भोपाल,( म.प्र.)।

दिनांक:29 जुलाई 2020

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 194 Views
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