शीर्षक-“साल 2021″(संक्षिप्त कविता)(3)
ओ जानेवाले साल 2021,
तुम्हें अलविदा कहते हुए
बहुत बुरा लग रहा है,
कोरोना की लहरों में
करीबियों को खोया,
तो कुछ नवीन प्रेरक
बातों को सीखा भी,
हर परिस्थितियों से सामना
करते हुए संघर्ष किया,
तो वक्त के थपेड़ों ने
आर्थिक स्थिति को
झंकझोर भी दिया,
2020 से 2021 तक न जाने
इसी वक्त ने बेपनाह गमों की बारिश
बरसाई,
तो इंसानियत के रिश्तों ने
सहायता रूपी सुख के आशारूपी
छातों से दुख के आवेगों को थामा भी,
धूप-छांव के खेल को
असली ज़िंदगी कहते हैं साथियों,
यह साल हर एक पल खुशी
से जीने की प्रेरणा दे गया
आरती अयाचित
स्वरचित एवं मौलिक
भोपाल