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30 Sep 2023 · 1 min read

शीर्षक – शुष्क जीवन

शीर्षक – शुष्क जीवन
शुष्क जीवन है ये रिक्त है आत्मा
तुम आकर इसे सजल कर दो ..
हृदय बंजर है जैसे हो मरुस्थल,
प्रेम से इसको अपने कंवल कर दो ..
ऐसे संगीत रूठा है अधरों से ,
फिर से तुम गुनगुनाकर गजल कर दो ।
है गणित सी ये जीवन की पुस्तिका ,
पास बैठो सभी प्रश्न हल कर दो ।
मैं तो सिमरू हर क्षण पिया ही पिया
नींद और चैन सब बेदखल कर दो ।
मैं तो जोगन हूं हृदय है कुटिया मेरी ,
अपने नेह से इसको महल कर दो ।
यूं भटकती है मृग सी मेरी जिंदगी ,
बनके प्रकाश ये राहें सरल कर दो ।
मैं धरा सी तपती हो रहीं हूं विकल ,
तुम अपने धैर्य को बादल कर दो ।
फिर भागीरथ बनो फैला लो भुजा ,
नाम मेरा भी तुम गंगाजल कर दो ।
तुम्हीं से है जीवन , तुम्हीं से मरण
कोई कारण तो एक सफल कर दो ।

मंजू सागर
गाजियाबाद

1 Like · 395 Views
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