शीर्षक-“ख्वाहिशों के रंग हजार” (24)
अनगिनत ख्वाहिशों के निखरते अमिट रंग,
साए की तरह घेरे हुए मेरा सलोना सा अंतरंग,
बदली हुई ज़िंदगी में बदली हुई चाहतों के भी बदलती हुईं तस्वीरें दिखलाएं बदलते हुए रंग,
मौसमें इश्क की बदलती हुई रफ्तार के संग,
देखे हुए सपनों को सच करने की उम्मीद लिए
बदलती हुई ख्वाहिशों की भी छाई रहेगी रंगबिरंगी बहार,
“इस परिवर्तित जीवन की बगिया
लिए खुशबु महकते फूलों की साथ,
तेरे संग यारा यह रंगीन सफर खुशगवार,
लेते रहेंगे जन्म जब तक वारंवार,
खिलती हुई ख्वाहिशों के रंग हजार”
आरती अयाचित
स्वरचित एवं मौलिक
भोपाल