शीर्षक-“बच्चे बनेंगे परमसेवक”(8)
बच्चों की अदा होती मतवाली,
इनकी बातें बड़ी निराली,
बहुत जल्दी सबका मन मोह लेते,
होते नटखट,फिर भी सबको लुभाते,
बच्चों की विभिन्न अदाओं से
मोहित होकर रहता मन सदा अलबेला,
नहीं तो दुनिया में रह जाए
हर कोई अकेला,
मोबाईल हाथ में न देकर,
यदि रंगबिरंगी आकृतियों से खिलाया जाए
बच्चों को कोई भी खेल,
सीखेंगे जल्दी वे,और दुनिया में उनका
सबसे हो जाएगा मेल,
बचपना होता है बड़ा ही कच्चा,
बच्चों का मन होता सीधा-सच्चा,
अच्छी आदतें सिखाएं बचपन में ही,
बनाने की करें कोशिश बहुत अच्छा,
यही बच्चे कल बनेंगे देश के नवयुवक,
जो बनेंगे वीर परमसेवक
आरती अयाचित
स्वरचित एवं मौलिक
भोपाल