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25 Jun 2024 · 1 min read

#शीर्षक:- नशीली आँखो में झाँक

#दिनांक:-25/6/2024
#शीर्षक:- नशीली ऑंखों में झॉंक।

बढ़ाकर हाथ भूल नहीं पाओगे तो कहना,
मजबूत एहसास ठहरने को मजबूर न करे तो कहना !
कशिश की बात ‘प्रतिभा’ से न करो तो बेहतर
नशीली आँखों में झाँक मुंह फेर पाओ तो कहना!

योग दिवस बीता पर सब ने किया जोग,
लत लगा पड़ोसन का बता रहे ये रोग ।
हाय जवानी तो चढ़ने देते शरीर पर नासपीटो,
बन रहे अट्ठारह के, बुढ़ापे तक टूट न जाओ तो कहना!

यकीन की चादर सारे जहाँ से लुप्त हो गई ,
बचपन मोबाइल पर तो युवाकाल सुप्त हो गई ।
बेरोजगार प्रेमी से पूछो प्रेमिका के खर्चे का हाल,
आशिक रसिकधर फूट-फूटकर रो न पड़े तो कहना !

“प्रति” रचनाओ को पढ़ आगे बढ़ जाने की फितरत,
कभी करों भावनाओ से भावना में भाव से शिरकत ।
तुम्हें दिखाएँ दुनिया की अपनी नजर से प्रेम नजारे,
लीन कर, खुबसूरत नजरिया न कर जाऊँ तो कहना ।।

(स्वरचित, मौलिक और सर्वाधिकार है)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

Tag: Poem
1 Like · 81 Views

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