शीर्षक- “नई आशाओं का नया सबेरा”(13)
सुप्रभात
नवीन विचारों से नई सुबह का मुस्कराते हुए करें अभिनंदन,
बुजुर्गों के आशीर्वाद,बच्चों के प्यार में खिले यह तन-मन,
सारे विकार दूर होकर फिर से हमें साथ चलने की मिले ताकत,
एक दूसरे को समझते हुए,सबके नए विचारों से मिलान करने की हो आदत,
संसार में चौरासी लाख योनियों में बस मानव ही मुस्कराना जाने,
क्यों न हंसते-हंसते सबकी काबिलियत को पहचानें हम,
क्या लाए थे साथ,जो संग जायेगा वहां….. कुछ भी नहीं,
चार दिन की जिंदगी,बीती बातें बिसारकर हंसकर गुजार दें हम,
हंसते-हंसते यूं ही स्वस्थ रह लो,मौज मना लो यह अर्ज करें ईश्वर के दरबार मेंं हम
आरती अयाचित
स्वरचित एवं मौलिक
भोपाल