Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jun 2024 · 3 min read

शीर्षक – घुटन

शीर्षक – घुटन
****************
सच तो हम सभी की जिंदगी में सच घुटन महसूस भी होती हैं। अब घुटन के शब्दों पर हम सोचे तब घुटन एक मौसम की जरूरत से भी हो सकती हैं। और सच आज की कहानी घुटन के किरदार आप और हम बस यही एक सच और सही है।
आप हमसे कहता है चलो आज कहीं दूर घूमने चलते हैं हम इस पर जवाब आपसे कहता है कहां चलना है तब आप कहता है आओ किसी हम रेस्टोरेंट में एक कप कॉफी पीते हैं इस पर हम बहुत खुश होता है और आपके साथ चलने के लिए तैयार हो जाता है परम हम और आपकी शादी की 22 साल बीत चुकी है पर कोई संतान सुख नहीं मिल पाया बस आपको तो कोई समस्या नहीं थी जीवन में जो होता है वह कुदरत के साथ उसे मंजूर था परंतु हम के जीवन में कहीं ना कहीं घुटन थी कहीं ना कहीं सोच थी और इसी सोच और घुटन के बीच हम ना जाने इस 22 वर्षों की जिंदगी में कितनी बार जीवन में घुटन के साथ जीवन जिया होगा।
आप हम को देखता है और सोचता हैं। फिर धीरे से आवाज में कहता है अब देर ना करो तैयार भी हो जाओ तब हम अपने कपड़े लेकर तैयार होने चले देती हैं। और आप भी तैयार हो जाता है। घर से दोनों हाथ में हाथ डालकर निकल ही रहे थे पीछे से आप की मां की आवाज आती है। बेटा हमारा खाना बना दिया क्या आप कोई छोटा सा उत्तर देता है और किचन में रखा है और हम दोनों आज बाहर जा रहे हैं।
हम दरवाजा खोलकर आपके साथ बाहर आ जाती और आप और हम दोनों एक दूसरे से सड़क पर बातें करते हुए। चल रही कुछ बीते लम्हें 22 वर्षों की हम कह रही है और आप उसकी सहमति में उत्तर दे रहे हैं बस आज कुछ घुटन है तो परंतु शायद हम जब चार दीवारी से बाहर निकल आते हैं। घुटंक कुछ देर के लिए हमसे दूर चली जाती हैं।
और बातें करते-करते आप और हमको मालूम ही नहीं चला की कब वह काफी के रेस्टोरेंट पर पहुंच गए और आप ने गेट खोला हम से कहा चलो दोनों एकांत में धीमी रोशनी वाली टेबल की सीट पर बैठ जाते है। आज दोनो घुटन भरी जिंदगी से बहुत हिम्मत के साथ कुछ कुछ घुटन से दूर व्यतीत करने आए हैं आप हम का हाथ पकड़ते हुए हम दोनों इस रेस्टोरेंट में आज 10 साल बाद आ रहे हैं आप और हम दोनों एक दूसरे के नजर मिलाते हुए समय ही कहां मिलता था घर के कामों से सच तुम भी तो बाहर रहते थे और हम दोनों के सिवा एक दूसरे का है भी कौन हम की बात सुनकर आप से हिला कर उत्तर देता है।
आप हम से कहता है मैं समझता हूं उस घुटन वाली जिंदगी को जो तुम्हारे मन और दिल में बसी है। सच तो यह है जीवन और जिंदगी आप और हमारे आप और हम के हाथों में नहीं और घुटन भी जिंदगी तो हम सभी जीते हैं बस सबके जीने के अंदाज अलग-अलग होते हैं।
***********************
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
81 Views

You may also like these posts

कहानी, बबीता की ।
कहानी, बबीता की ।
Rakesh Bahanwal
3288.*पूर्णिका*
3288.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गवाह तिरंगा बोल रहा आसमान 🇮🇳
गवाह तिरंगा बोल रहा आसमान 🇮🇳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
Rj Anand Prajapati
जीवन है मेरा
जीवन है मेरा
Dr fauzia Naseem shad
कौन याद दिलाएगा शक्ति
कौन याद दिलाएगा शक्ति
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
इस तरह क्या दिन फिरेंगे....
इस तरह क्या दिन फिरेंगे....
डॉ.सीमा अग्रवाल
एक सरल मन लिए, प्रेम के द्वार हम।
एक सरल मन लिए, प्रेम के द्वार हम।
Abhishek Soni
दिल का बुरा नहीं हूँ मैं...
दिल का बुरा नहीं हूँ मैं...
Aditya Prakash
शीर्षक - सच (हमारी सोच)
शीर्षक - सच (हमारी सोच)
Neeraj Agarwal
अब के मौसम न खिलाएगा फूल
अब के मौसम न खिलाएगा फूल
Shweta Soni
"आज मैंने"
Dr. Kishan tandon kranti
सुस्ता लीजिये थोड़ा
सुस्ता लीजिये थोड़ा
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
आग ..
आग ..
sushil sarna
GrandMother
GrandMother
Rahul Singh
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
Ranjeet kumar patre
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
सत्य मिलन
सत्य मिलन
Rajesh Kumar Kaurav
माँ गै करै छी गोहार
माँ गै करै छी गोहार
उमा झा
अधूरा इश्क़
अधूरा इश्क़
Dr. Mulla Adam Ali
संसार की अजीब रीत
संसार की अजीब रीत
पूर्वार्थ
मुख्तशर सी जिंदगी है।
मुख्तशर सी जिंदगी है।
Taj Mohammad
आवारा बादल
आवारा बादल
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
*भारत भूषण जैन की सद्विचार डायरी*
*भारत भूषण जैन की सद्विचार डायरी*
Ravi Prakash
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
Mukesh Kumar Sonkar
मुफ्त की खुशियां
मुफ्त की खुशियां
Kshma Urmila
🙅एक सलाह🙅
🙅एक सलाह🙅
*प्रणय*
सब तो उधार का
सब तो उधार का
Jitendra kumar
वो चाहती थी मैं दरिया बन जाऊं,
वो चाहती थी मैं दरिया बन जाऊं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुहब्बत गीत  गाती है करिश्मा आपका है ये
मुहब्बत गीत गाती है करिश्मा आपका है ये
Dr Archana Gupta
Loading...