शीर्षक – कुछ भी
शीर्षक – कुछ भी
कुछ भी खा लेते हैं
कुछ भी खिला देते हैं
कुछ भी सुन लेते हैं
कुछ भी सुना देते हैं
कुछ भी पहन लेते हैं
कुछ भी पहना देते हैं
कुछ भी सीख लेते हैं
कुछ भी सिखा देते हैं
कुछ भी करते हैं
दिन रात मरते हैं
यह तो कुछ भी नहीं है
इसे ही आधुनिकता कहते हैं
_ सोनम पुनीत दुबे