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Motilal Das
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15 Dec 2018 · 1 min read
शीर्षकहीन
कभी कभी ही
कोई शब्द
गूंजता है जेहन में
और उभरती है
कोरे कागज में
एक मुक्कमल कविता ।
Language:
Hindi
Tag:
मुक्तक
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