शीत लहर
चल पड़े सर्दियों का मिजाज देखने
मौसम की रंगत का मिजाज देखने
सरसराती हवायें अलावों की कमी
शवदाह पर तापते ठिठुरते निर्धन जन
चल पड़े सर्दियों का मिजाज देखने
शीत लहर चल रही है बर्फ की मार
निर्धन सा बालक कंबल का अभाव
गर्माहट पाने को कुत्ता चिपकाए साथ
चल पड़े सर्दियों का मिजाज देखने
लिपट गई धरती अंबर के साथ
कोहरे की चादर ओढ़े दोनों एक साथ
धरती देखो कांप रही ओस की मार
चल पड़े सर्दियों का मिजाज देखने
शीतलहर खूब बहे गंगा के घाट
पंछी सारे ठिठुर गए सूनी हुई डाल
जीव जंतु कांप रहे ठंड को भांप रहे
चल पड़े सर्दियों का मिजाज देखने
अमीर सूट पहने उस पर अलाव
चारों तरफ हीटर रजाई का जमाव
देख अश्रु भर आए यह कैसा अलगाव
सूर्य तुम ले आओ गर्म किरणों का प्रकाश
मौलिक एवं स्वरचित
मधु शाह (11-1-23)