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22 Oct 2019 · 1 min read

शिफ़ा

जिंदगी में कुछ लम्हे खुश गवार होते होते मायूसी में तब्दी़ल हो जाते हैं ।जाने क्यों इंसानी फितरत खुशगवार ल़म्हों को ग़मजदा बनाने में लगी है। चारों तरफ बेखु़दी का माहौल ब़रपा है ।शायद इंसान की सोच मे वो ख़लल है जिससे वह खुशनुमा माहौल मे भी ग़म को तलाशता है। किसी भी माहौल में खुशी हासिल करने का फ़न हर किसी में नहीं होता। कुछ ही ऐसे विरले होते हैं जिनमें यह शि़फा होती है ।ऐसे लोग ज़िंदगी को ज़िंदादिली से जीते हैं। खुद खुश रहते हैं और अपनी खुशी औरों में बांँटते रहते हैं ऐसे इंसान अपनी तक़दीर खुद लिखते हैं और तवा़रीख की एक म़िसाल क़ायम करते हैं। इनकी श़ख्शियत इस क़दर बुलंद होती है कि साम़यीन खुद ब खुद इनके म़ुरीद बन जाते हैं। इन्सानी श़क्ल मे ये फ़र्द खु़दाई ख़िदमतगार बनकर इस दुनिया मे आते हैं। और अपनी कारगुज़ारी की छाप हमारे ज़ेहन पर छोड़ जाते हैं।

Language: Hindi
Tag: लेख
202 Views
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