शिशिर ऋतु -२
हरी-हरी हरियाली खेतों में खलीयानो में
वसुधा पर हरि-हरि चुनर लहराती है।
भोर काल प्रातः काल हरी हरी पत्तियों पर
उषा रानी श्वेत-श्वेत मोती जड़ाती है।
टप- टप गिरती हुई ओस की बुंदे आली
पिया जी से मिलन की आस जगाती हैं।
शिशिर प्रभाव से शिथिल पड़े सब
विष्णु उष्ण वसन की उपमा बढ़ाती है।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’
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