शिव
छंद-मधुमालती गीत
******************
खोलो नयन, दर पर पड़े।
काँवड़ लिए, कब से खड़े।
शिव भक्ति का, वरदान दो।
पा लूँ तुझे, वह ज्ञान दो।
मेरा हृदय, पावन करो।
देकर खुशी, दामन भरो।
वर दो सभी, दुख टल पड़े।
फल फूल ले, कब से खड़े।
प्रभु तोड़ कर,जग जाल को।
माया भरा, इस काल को।
भजते रहूँ, प्रभु नाम मैं।
पाऊँ सदा, शिव धाम मैं।
शिव नाम ले,कर चल पड़े।
जल,दूध ले,कब से खड़े।
कमजोर हूँ, मैं तो अभी।
अवगुण भरे, मुझमें सभी।
पापी बहुत, नादान हूँ।
जग से अभी, अंजान हूँ।
आशीष दो,जो बन पड़े।
झोली लिए, कब से खड़े।
सच्ची लगन,शिव की लगी।
होगी कृपा, आशा जगी।
तेरे सिवा, कोई नहीं।
सब देव के, दाता तुम्हीं।
तेरी नजर, हम पर पड़े।
आशा लिए, कब से खड़े।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली