शिव
छोड़ सकल जंजाल सब ,कर शिव का गुणगान।
ब्रम्हा विष्णु आदि सब,करते रहते ध्यान।।
करते रहते ध्यान, देव शरणागत रहते ,
महिमा अमित अपार शंभु को भजते रहते।
दीनन की सुध लेत हरें सब विपदा भारी ।
पार्वती पति भजो भजो शंकर त्रिपुरारी ।।
सतीश
छोड़ सकल जंजाल सब ,कर शिव का गुणगान।
ब्रम्हा विष्णु आदि सब,करते रहते ध्यान।।
करते रहते ध्यान, देव शरणागत रहते ,
महिमा अमित अपार शंभु को भजते रहते।
दीनन की सुध लेत हरें सब विपदा भारी ।
पार्वती पति भजो भजो शंकर त्रिपुरारी ।।
सतीश