Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2017 · 4 min read

शिव-स्वरूप है मंगलकारी

शास्त्रों की मान्यतानुसार पावन गंगा को अपनी लटों में धारण करने वाले, समस्त देवों के देव, अन्यन्त निर्मल, भोलेभाले महादेव शिव जितने उदार, परोपकारी, सौम्य और दयाभाव से भरे हुए हैं, उतने ही वे रौद्र रूप हैं। अन्य देवताओं के दो नेत्र हैं तो शिव त्रिनेत्रधारी हैं। शिव का तीसरा नेत्र जब भी खुलता है तो उससे निकलने वाली ज्वाला से समस्त अनिष्टकारी वातावरण जलकर राख हो जाता है।
तन पर मृगछाल, भस्मी लपेटे हुए, एक हाथ में त्रिशूल तो दूसरे हाथ में डमरू थामे, आक-धतूरे का सेवन करने वाले शिव स्वयं हलाहल पीकर दूसरों को अमृत पिलाते हैं। ब्रह्मा यदि विकाररहित ज्ञान के पुंज हैं तो महादेव शिव जगत को सत् और असत् में भेद कराकर कल्याण की ओर ले जाने वाले देव हैं।
शिव अर्थात् मंगलकारी विधान के रचयिता। शिव से सम्बन्धित ‘शिवरात्रि’ लौकिक व्यवहार में तत्पुरुष समास है जिसका अर्थ है शिव की रात्रि। ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के प्रथम समुल्लास में परमेश्वर के सौ नामों में शंकर या शिव का अर्थ इस प्रकार प्रकट किया गया है-‘ यः शं कल्याण, सुखं करोति स शंकर’ अर्थात् जो कल्याण करने वाला एवं सुख प्रदानकर्ता है, उसी ईश्वर का नाम शंकर है। शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं जिनके सिर पर गंगा और माथे पर अर्धचन्द्रमा है। वृषभ या नादिया उनकी सवारी है। गले में मुण्ड की माला है और सर्प लिपटे रहते हैं।
अमर कोष व्याख्या रामाश्रयी टीका पृ. 35 के अनुसार- ‘क’ पृत्यय से लस श्लेषण क्रीडनयो धातु से कैलाश की सिद्धि होती है- ‘कम इति जलम् ब्रह्म व तस्मिन के जले ब्रह्माणि लासः लसनमस्य इति कैलाशः’ अर्थात् क से अभिप्राय ब्रह्मजल से है क्योंकि क नाम ब्रह्म का है। परमयोगी साधक महादेव शिव परमानंद प्राप्त करने के लिये इसी कैलाश पर वास करते हैं।
शिव के वेश, स्वभाव और परिवेश के प्रति ध्यान दें तो वे तो वे जहाँ वास करते हैं, वह पर्वत है। पर्वत दृढ़ता का प्रतीक है। साधक पर्वत की भाँति ही अपने व्रत, कर्म और साधना में अडिग होता है। शिव का तीसरा नेत्र जो माथे पर स्थिति है वह ज्ञान नेत्रा का प्रतीक है। इसी नेत्र से कामाचार का प्रत्यूह जलकर राख होता है। अर्थ यह कि शिव कामांध होकर कभी अनाचार नहीं करते।
महादेव के माथे पर गंगाजी हैं। मस्तकवर्ती यह गंगा ज्ञानगंगा है | इनके सिर पर अर्धचन्द्रमा है जो आनंद, आशा और सौहार्द्र का प्रतीक है। शिव के चारों ओर विषधर लिपटे हुए हैं जो काम, क्रोध, मोह, मद, ईष्र्या, द्वेष, पक्षपात आदि के प्रतीक हैं। महादेव इन्हें अपने अन्तःकरण से न लिपटाते हुए अनासक्त भाव से विचरण करते हैं। शिव के एक हाथ में त्रिशूल तीन कष्टों दैविक, दैहिक, भौतिक का प्रतीक है। परमयोगी इन तीनों शूल रूपी कष्टों को अपने वश में किये रहते हैं और इसी त्रिशूल से असुरों का विनाश कर जगत के कष्ट को हरते हैं।
शिव के बायें हाथ में डमरू विराजमान है। डमरू शब्द संस्कृत के ‘दमरू’ शब्द का तद्भव शब्द है जो ‘दम’ [ दमन करना ] और ‘रू अर्थात् दमन के समय उत्पन्न होने वाली ध्वनि को प्रकट करता है। अर्थ यह कि शिव महान संयमी है। शिव को नीलकंठ भी कहते हैं। नीलकंठ अर्थात् विष के समान कटुतर बातों को जो कंठ से नीचे नहीं जाने देता अर्थात् महादेव का हृदय अत्यंत निर्मल है।
शिव अपने शरीर पर इसलिए भस्म लपेटे रहते हैं ताकि इस संसार को बता सकें कि यह शरीर भस्म होने के लिये है अतः इससे मोह रखना व्यर्थ है।
शिव की सवार ‘नादिया’ नाद शब्द की ध्वनि को प्रकट करता है। नादिया को वृषभ की कहते है। जिसका प्रतीकार्थ है सुखों की वर्षा करने वाला।
शिव की पत्नी उमा हैं। इनका नाम उमा इसलिये है क्योंकि ‘ उ ब्रह्मीयते, ज्ञायते, यया, सा, ब्रह्म, विद्या उमा है जो प्रकाशवती होने से हेमवती है। शिव इसी हेमवती उमा अर्थात् हिमालय की पुत्री पार्वती से पाणिग्रहण कर ब्रह्मविद्या के ज्ञाता होकर ब्रह्म-प्राप्ति में सफल होते हैं।
अर्थ यह है कि शिव सत्य स्वरूप हैं। सुख की वर्षा करने वाले, महाज्ञानी, पूर्ण योगी और सच्चे साधक हैं। शिव के इसी लोक मंगलकारी स्वरूप की पूजा महाशिव रात्रि के दिन भक्तगण करते हैं।
मान्यता है कि सृष्टि के प्रारम्भ हेतु फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मध्य रात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतार हुआ था। प्रलय काल में भगवान शिव ने ताण्डव करते हुए सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को अपने तीसरे नेत्र की भीषण ज्वाला से भस्म कर दिया था। इसी कारण इस दिन को महाशिव रात्रि या कालरात्रि कहा जाता है।
महाशिव रात्रि से पूर्व काँवरिये अपनी-अपनी काँवर लेकर मोक्षदायिनी, पापहरणी गंगा के तट पर जाकर अपनी-अपनी काँवर को रंग-विरंगे वस्त्रों, चमकते दर्पणों, मूँगे-मोतियों, बहुरंगी रूमालों, धार्मिक चित्रों से सजाते हैं। गंगा स्नान करते हैं और गंगाजल के कलश काँवर के दोनों पलड़ों में रख, पैरों में घुँघरू बाँध अपने इष्ट देव शिव पर गंगाजल चढ़ाने हेतु निकल पड़ते हैं।
टोल बनाकर नाचते-गाते, बम-बम भोले के नारे लगाते हुए काँवरिये जब सड़कों, पगडंण्डियों से होकर गुजरते हैं तो पूरा वातावरण शिव-भक्तिमय हो जाता है। जो लोग काँवर नहीं ला पाते, वे सड़कों के किनारे तम्बू तानकर दूध, चाय, मिष्ठानों और फलों से काँवरियों का स्वागत-सत्कार कर पुण्य कमाते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन माताएँ-बहिनें निराहार व्रत रखती हैं और काले तिल से स्नान कर रात्रि-बेला में पत्र-पुष्प, वस्त्र आदि से मंडप तैयार कर वेदी पर कलश की स्थापना के उपरान्त गौरी-शंकर और नन्दी की पूजा करती हैं।
अतः कहना उचित होगा कि महाशिव रात्रि पर्व समस्त जगत की भलाई के लिए हर मन में मंगल भाव जगाने और जगत को सुन्दरतम बनाने का एक सत्बोध पर्व है।
———————————————————-
सम्पर्क- 15/109, ईसानगर, अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
451 Views

You may also like these posts

शहीदों का बलिदान
शहीदों का बलिदान
Sudhir srivastava
तुम समझ पाओगे कभी
तुम समझ पाओगे कभी
Dhananjay Kumar
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*
*"नरसिंह अवतार"*
Shashi kala vyas
करवाचौथ
करवाचौथ
Neeraj Agarwal
” भेड़ चाल “
” भेड़ चाल “
ज्योति
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
Shreedhar
सत्य दृष्टि (कविता)
सत्य दृष्टि (कविता)
Dr. Narendra Valmiki
बड़ी अजब है जिंदगी,
बड़ी अजब है जिंदगी,
sushil sarna
"गंगा माँ बड़ी पावनी"
Ekta chitrangini
4843.*पूर्णिका*
4843.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
■ रहस्यमयी कविता
■ रहस्यमयी कविता
*प्रणय*
संवेदना
संवेदना
ललकार भारद्वाज
किसी का कचरा किसी का खजाना होता है,
किसी का कचरा किसी का खजाना होता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सामाजिक न्याय
सामाजिक न्याय
Shekhar Chandra Mitra
*जागो हिंदू विश्व के, हिंदू-हृदय तमाम (कुंडलिया)*
*जागो हिंदू विश्व के, हिंदू-हृदय तमाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
গাছের নীরবতা
গাছের নীরবতা
Otteri Selvakumar
तेरा-मेरा साथ, जीवन भर का...
तेरा-मेरा साथ, जीवन भर का...
Sunil Suman
चीत्रोड़ बुला संकरी, आप चरण री ओट।
चीत्रोड़ बुला संकरी, आप चरण री ओट।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
"Looking up at the stars, I know quite well
पूर्वार्थ
*हनुमान के राम*
*हनुमान के राम*
Kavita Chouhan
जीवन गति
जीवन गति
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
सुप्रभात
सुप्रभात
डॉक्टर रागिनी
सत्ता
सत्ता
DrLakshman Jha Parimal
जिंदगी में सफ़ल होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि जिंदगी टेढ़े
जिंदगी में सफ़ल होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि जिंदगी टेढ़े
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
श्राद्ध- पर्व पर  सपने में  आये  बाबूजी।
श्राद्ध- पर्व पर सपने में आये बाबूजी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पढ़े-लिखे पर मूढ़
पढ़े-लिखे पर मूढ़
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
सवैया
सवैया
Rambali Mishra
" नज़र "
Dr. Kishan tandon kranti
भटके नौजवानों से
भटके नौजवानों से
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
Loading...