शिव शंकर
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मेरे तन- मन में सदा , शिव शंकर का वास।
उसके बिन जग में नहीं, कहीं किसी से आस।।१।
जगत पिता संसार के, शिव शंकर भगवान।
दाता जग के हैं वही ,देने वाले दान।।२
शिवमय सावन माह की, महिमा अपरंपार।
काँधे काँवर को लिए,जाना शिव के द्वार।। ३
शिव शंकर के द्वार पर, लगता भीड़ अपार।
जयकारे की गूँज से, गूँज उठा संसार।। ४
कण-कण शिव मय हो गया, श्रावणी सोमवार।
गूँज रहा जल थल गगन, शिव की जय-जयकार।।५
शिव के चरणों में मिले, सारे तीरथ धाम।
कर्म तुम्हारे हाथ में, शिव देते परिणाम।।६
बोलो बम कहते चलो, जाना बाबा धाम।
काँधे पर काँवड़ लिए, ,लेना शिव का नाम।। ७
? ? ?? – लक्ष्मी सिंह ? ☺