शिव विवाह पर घनाक्षरी
शिव बारात : छंद घनाक्षरी
मस्तक पे अर्द्ध चंद्र, शीष जटा बीच गंग,
गले में पड़े भुजंग, बाघंबर धारे हैं।
कर में त्रिशूल लिये, डमरू का नाद किये,
देवों के भी देव महा देव बड़े न्यारे हैं।।
नंदी पे सवार होके, भूतों की बारात लेके,
आये देखो राजा हिमवान के दुआरे हैं।
देखो श्री कैलाशपति, महा अवधूत यति,
पारवती संग में विवाह को पधारे हैं।।
महा शिवरात्रि की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।