*शिव रक्षा स्तोत्रम*
शिव रक्षा स्तोत्रम जटा विशाल भव्य भाल कंठ में भुजंग है। अनंत आसमान सा सुडौल दिव्य अंग है। परम सुरम्य सौम्य भाव नव्य नित्य नाम है। मधुर अनल स्वभाव सभ्य सत्य भद्र धाम है। दिखें सदैव भस्म पोत शंकरम विनम्र सा। शिवा सहित प्रसन्नचित्त देव रूप नम्र सा। किया करें सप्रेम नृत्य देव स्तुत्य देव शिव। हरण करें समस्त व्याधि क्लेश नित्य देव शिव। दयालुता कृपालुता हृदय विराट संस्कृता। समर्थ तेज पुंज ज्ञान अर्थ स्पष्ट अमृता। नराधिपति महानुभाव नेत्र त्रय विशाल हैं। जटा समेटती सहर्ष गंग नीर चाल है। सदैव भूत प्रेत मध्य हैं …