शिव भजन
हे मस्त मलंगी शिव शंकर,हे मस्त मलंगी शिव शंकर।
प्रभु कृपा करो शरणागत हूँ, मै दीन दुःखी अति आहत हूँ।
अंतस की कसक मिटाने को, मै पूज रहा पत्थर-पत्थर।
हे मस्त मलंगी शिव शंकर,हे मस्त मलंगी शिव शंकर।
डम-डम डमरू है बाज रहा, माथे पर चंदा साज रहा।
हे कैलाशी हे अविनाशी, गुणगान करे अक्षर-अक्षर।
हे मस्त मलंगी शिव शंकर,हे मस्त मलंगी शिव शंकर।
हे महादेव हे सन्यासी, दर्शन को हैं अँखियाँ प्यासी।
मेरी अब अर्ज लगा ले तू, मै नाम रटूँ शंकर शंकर।
हे मस्त मलंगी शिव शंकर,हे मस्त मलंगी शिव शंकर।
तुम तीन लोक के स्वामी हो, तुम जग के अंतर्यामी हो।
तुम किसी को दो मिश्री शक्कर, और किसी को बस कंकर-कंकर।
हे मस्त मलंगी शिव शंकर,हे मस्त मलंगी शिव शंकर।
तुम कर्ता धर्ता हर्ता हो, तुम सब के पालनकर्ता हो।
तू चाहें धरती हरी रहे, तू चाहें कर बंजर-बंजर।
हे मस्त मलंगी शिव शंकर,हे मस्त मलंगी शिव शंकर।
अभिनव अदम्य