शिव भजन
शिव महिमा
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कैलाशी अविनाशी है जो , डम-डम डमरू जिसका बोले ।
गंग विराजे जिसकी लट में , उसका नाम है शंकर भोले ।।
बाबा भोले शंकर भोले !
है त्रिशूल हाथों में जिसके , चरणों में संसार समाया ,
सबसे भोला देव है जग में , सबका बेड़ा पार लगाया ,
प्रलय करा दे जिसका तांडव, नेत्र तीसरा अपना खोले ।
गंग विराजे जिसकी लट में , उसका नाम है शंकर भोले ।।
बाबा भोले शंकर भोले ! (1)
माथे मुकुट मयंक विराजे , पहने नागों की गलमाला ,
नेत्र तीसरा मस्तक धारे , हँस के पी ले विष का प्याला ,
हिमखण्डों में गौरी के सँग , जिसके साथ में नंदी बोले ।
गंग विराजे जिसकी लट में , उसका नाम है शंकर भोले ।।
बाबा भोले शंकर भोले ! (2)
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गोद गणेश भरे किलकारी , कार्तिकेय बाँहों में खेले ,
भूतनाथ भूतेश्वर तुझ बिन , लगते ब्रह्मा विष्णु अकेले ,
‘ज्योति’ करे कर जोड़ वंदना , बाबा तेरी जय-जय बोले ।
गंग विराजे जिसकी लट में , उसका नाम है शंकर भोले ।।
बाबा भोले शंकर भोले ! (3)
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महेश जैन ‘ज्योति’,मथुरा ।
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