शिव भजन
सावन के चौथे सोमवार को भगवान शिव के भक्तों की सेवा में सादर समर्पित एक शिव भजन …!
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* शिव परिवार *
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मेंहदी हाथ रचावै गौरी , विजया छानै भोलेनाथ ।
छानै भोलेनाथ, विजया छानै भोलेनाथ ।।
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कल-कल धार बहै गंगा की मैया करे किलोल ,
लड़ुआ लै कै घुटमन डोलै गनपति गोल मटोल ,
डमरू लै कै अपने हाथ बजाय रहे बाबा भोलेनाथ ।1।
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खेलत कार्तिकेय ने पकड़ी झट बाबा की मूँछ,
नंदी देख हिलावै इत-उत अपनी लम्बी पूँछ ,
गिरिजा हँसी देख बाबा कूँ , हँस गये बाबा भोलेनाथ ।2।
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नागराज फुंकारें , मोरा नाचै , मूषक डोलै ,
सिंह दहाड़ै महामाई कौ , भैरों बम-बम बोलै ,
अपनी शरण ‘ज्योति’ कूँ रखियो मेरे बाबा भोलेनाथ ।3।
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-महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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