शिव त्रिशूल पर वशा हैं काशी, काशी के शिव है वाशी
मुखरा
शिव त्रिशूल पर वसा हैं काशी,काशी के हैं शिव वासी-2
जटाजोट भंग सेवन करते, हैं अमर अभिनाशी।।-2
श्रृधा सुमन तुम अर्पण कर दो होते सबपे सहाय
बोलों ॐ नमः शिवाय-2
अंतरा
धर्म कर्म मोझ पाना है तो काशी में तुम आना।
कर अभिषेक जल से प्रभु का मन वांचीत फल पाना।।-2
भोलेनाथ है भोले शंकर देते दुखरा मिटाय
बोलों ॐ नमः शिवाय-2
2. शिव से मिलने देवलोक आते,काशी की धरती पर
मिलेगा वही जो चाहोगे तुम करलें भरोसा भक्ती पर।।-2
दौड़े दौड़े आते हैं वो लो उनको आज बुलाय
बोलों ॐ नमः शिवाय-2
गीतकार रौशन राय बांकी
तारीक-24-02-2021
मोबाइल-9515651283आ7859042461