शिवरात्रि
प्रकृति की बारात लिए
आज आई एक रात
ये है माघ की महानिशा
बदल देगी सारी दशा
भर देगी ऊर्जा का नशा
धरा से कैलाश तक
हर और खुशी की छटा
बैल पर चढ़कर दूल्हा
पहन मुंड की माला
अंग भस्मी में रमा
जटाओं में चंद्र जड़ा
मस्त मौला चाल से ये
गौरा से ब्याह ने चला
मंगल गीत बजने लगा
भर दी पार्वती की मांग
सब नाचे पीकर भांग
हमको दे प्रभु अपना संग
हम भी लाये जीवन में रंग
मौलिक एवं स्वरचित
मधु शाह(1-3-22)