शिवरात्रि
1
दक्ष पिता की राजकुमारी, शिव शंकर की हुई दिवानी
बनी संगिनी युगों युगों की ,घड़ी सुखद है आज सुहानी
मंगल पावन है शिवरात्रि , घर परिवार सभी मिल गाते
शिव गौरा से हुई जगत में, परिवारों की शुरू कहानी
2
नील कंठ ,शिव बन गये,कर के विष का पान
ये तो भोले नाथ हैं, दे देते वरदान
हो जाते हैं यदि कुपित, करते तांडव नृत्य
पर प्रतिपालक शिव करें, सदा लोक कल्याण
कुण्डलिया
यायावर हैं सब यहाँ, मंज़िल शिव का धाम
जपते हैं दिन रात हम, शिव शंकर का नाम
शिव शंकर का नाम , बहुत शिव भोले भाले
करते यही विनाश , यही जग के रखवाले
कहे ‘अर्चना’ बात , बहुत गहरा भवसागर
कर दो बेड़ा पार, कहें हम सब यायावर
01-03-2022
डॉअर्चना गुप्ता