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27 Mar 2020 · 4 min read

शिवराज चुनौती भरा ताज़

शिवराज चुनौती भरा ताज़
#पण्डितपीकेतिवारी
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को सत्ता से बेदखल करके प्रदेश के चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ और कद्दावर नेता शिवराज सिंह चौहान के सामने पहले के मुकाबले इस बार ज्यादा चुनोतियाँ हैं सबसे पहले कोरोना वायरस से निपटने की चुनोती इसके बाद कांग्रेस से बगावत करके कांग्रेस की सरकार को गिराने वाले और अब भाजपा में शामिल हुए बागी विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल कर और 25 सीटों पर होने वाले आगामी उपचुनाव में उनको भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़वाना एवं भाजपा के पुराने नेता और कार्यकर्ताओं से आपसी तालमेल बिठाना ये वो चुनोतियाँ हैं जिससे मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को निपटना हैं।

मध्यप्रदेश में नवनियुक्त भाजापा केे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोना वायरस से निपटने के बाद अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे क्योंकि प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के साथ पार्टी के उन नेताओं की मुराद पूरी हो गई जो आए दिन कमलनाथ सरकार को गिराने का दावा करते थे। भाजपा को जितना संघर्ष सरकार बनाने के लिए करना पड़ा, सरकार को बचाकर उसे चलाना इससे कम चुनौतपूर्ण नहीं होगा। कमलनाथ सरकार के सामने मजबूत विपक्ष था, वैसी ही स्थिति शिवराज सरकार के सामने है। विपक्ष कमजोर नहीं है। कोरोना से निबटने के बाद शिवराज की पहली परीक्षा मंत्रिमंडल गठित करने में होने वाली है। कोरोना संकट के कारण इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।
जैसे ही मंत्रिमंडल गठन की कवायद शुरू होगी, शिवराज के लिए सबको साधना और संतुष्ट करना आसान नहीं होगा। बता दें, दस बागियों का मंत्री बनना तय है। इनमे तुलसी सिलावट उप मुख्यमंत्री बन सकते हैं। समर्थन देने वाले सपा, बसपा एवं निर्दलीय विधायकों में से दो-तीन मंत्रिमंडल में जगह पा सकते हैं। ऐसे में भाजपा के 20 से ज्यादा विधायक मंत्री नहीं बन सकेंगे जबकि पार्टी के अंदर दावेदारों की संख्या लगभग आधा सैकड़ा है।
– चंबल-ग्वालियर अंचल से तीन प्रमुख दावेदार
कांग्रेस के बागियों में चंबल-ग्वालियर अंचल से तीन इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर एवं महेंद्र सिंह सिसोदिया कमलनाथ सरकार में मंत्री थे। इनका फिर मंत्री बनना तय है। एक और बागी एंदल सिंह कंसाना को भी मंत्री बनाना पड़ेगा। भाजपा से इस अंचल के नरोत्तम मिश्रा, यशोधरा राजे सिंधिया मंत्री बनेंगे ही। हेमंत कटारे को हराने वाले अरविंद भदौरिया का भी दावा मजबूत है। ‘आपरेशन लोटस’ में उनकी मुख्य भूमिका रही है। इस तरह इस अंचल से भाजपा कोटे से तीन विधायक मंत्री बन सकते हैं। इनके साथ कुल संख्या 7 तक जा सकती है।
– बुंदेलखंड से भाजपा में पांच का दावा मजबूत
बागियों में बुंदेलखंड अंचल से सिंधिया समर्थक सिर्फ एक गोविंद सिंह राजपूत मंत्री थे। फिर इनका मंत्री पद पक्का है। इसके अलावा गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी, हरिशंकर खटीक तथा ब्रजेंद्र प्रताप सिंह मंत्री पद के दावेदार हैं। राहुल को छोड़कर शेष सभी शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं। सागर जिले से ही तीन मंत्री हो रहे हैं। एक मंत्री कम करने के लिए गोपाल भागर्व का नाम विधानसभा अध्यक्ष के लिए चलाया जा रहा है। इनमें किसे रखते हैं, इसका चयन किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं।
– विंध्य अंचल से 7 विधायक कतार में
विधानसभा चुनाव में भाजपा को विंध्य अंचल में सर्वाधिक सफलता मिली थी। अंचल के एक मात्र बागी बिसाहूलाल सिंह का मंत्री बनना तय माना जा रहा है। इनके अलावा राजेंद्र शुक्ला, नागेंद्र सिंह, नारायण त्रिपाठी, गिरीश गौतम, शरदेंदु तिवारी, केदारनाथ शुक्ल एवं मीना सिंह मंत्री पद की कतार में हैं। राजेंद्र शुक्ला, नागेंद्र सिंह एवं मीना सिंह पहले मंत्री रह चुके हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को हराने के कारण शरदेंदु का दावा मजबूत है। नाराजगी दूर करने नारायण को मौका मिल सकता है। केदारनाथ शुक्ल एवं गिरीश गौतम का दावा सीनियर विधायक के नाते कमजोर नहीं है।
– महाकौशल के चार पूर्व मंत्री चाहते हैं जगह
महाकौशल अंचल के विधायकों का दावा छोड़ दें तब भी चार पूर्व मंत्री मंत्रिमंडल में स्थान पाने के प्रबल दावेदार हैं। इनमें गौरीशंकर बिसेन, अजय विश्नोई, संजय पाठक एवं जालम सिंह पटेल शामिल हैं। बिसेन एवं विश्नोई वरिष्ठ और शिवराज सिंह के खेमे से हैं। संजय पाठक को कांग्रेस से तोड़कर लाया गया था और मंत्री बने थे। जालम सिंह पटेल केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के भाई हैं। इनमें से किसी का भी पत्ता काटना शिवराज के लिए आसान नहीं होगा।
– मध्यभारत के 7 विधायक बनना चाहते मंत्री
मध्यभारत अंचल के चार विधायक सुरेंद्र पटवा, विश्वास सारंग, रामपाल सिंह एवं कमल पटेल मंत्री रह चुके हैं। सीताशरण शर्मा विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं। अध्यक्ष नहीं बनते तो मजबूत दावेदार हैं। राजधानी से हमेशा दो-तीन मंत्री बनाए जाते रहे हैं, ऐसे में रामेश्वर शर्मा एवं विष्णु खत्री प्रबल दावेदार हैं। इनमें शिवराज एवं पार्टी किसका चयन करती है, इसका इंतजार है। अंचल से बागी पूर्व मंत्री प्रभुराम चौधरी का मंत्री पद पक्का है।
– मालवा-निमाड़ से मंत्रियों का चयन कठिन
मालवा-निमाड़ प्रदेश का सबसे बड़ा अंचल है। यहां विधानसभा की सबसे ज्यादा सीटें हैं। इसलिए मंत्री पद के दावेदार भी सर्वाधिक 10 हैं। दो विधायक विजय शाह एवं पारस जैन मंत्री रह चुके हैं। इन्हें फिर मौका मिलना तय माना जा रहा है। देवास से राजघराने की गायत्रीदेवी पवार मुख्य दावेदार हैं। इनके अलावा वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा की पत्नी नीना वर्मा, कैलाश विजयवर्गीय के खास रमेश मेंदोला, पूर्व महापौर व विधायक मालनी गौड़, ऊषा ठाकुर, यशपाल सिसोदिया, राजेंद्र पांडेय एवं ओम प्रकाश सकलेचा दावेदार हैं। अलग-अलग कारणों से सभी मंत्री पद की पात्रता रखते हैं। सिंधिया के खास बागी तुलसी सिलावट को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। विधायकी से सबसे पहले इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के हरदीप सिंह डंग एवं एक अन्य बागी जयवर्धन सिंह दत्तीगांव का मंत्री बनना पक्का है। ऐसे में चयन टेढ़ी खीर होगा। चुनौती इसलिए बड़ी है क्योंकि भाजपा में दावेदारों की संख्या आधा सैकड़ा के आसपास है और शिवराज पार्टी के 20 से ज्यादा मंत्री बना नहीं सकते।

Language: Hindi
Tag: लेख
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