*** ” शिवत्व ” ***
” ” शिवत्व ”
हे त्रिपुरारी औघड़ दानी परम कृपालु दयाला
शीश जटा में गंग विराजे सोहे चंद्र रूप विशाला
हाथ में डमरू डम डम बाजै गले सर्पों की माला
केसर चंदन भस्मी रमाये तन पे ओढ़े मृगछाला
नन्दीश्वर में चढ़ कर बाराती बने दूल्हा मतवाला
नीलकंठेश्वर वो कहलाये पीकर विष का प्याला
हे कैलाशी जग के वासी शिवशंकर डमरूवाला
सुख दुःख में नाता जोड़े भक्त कहे दीनदयाला
रूद्र रूप तांडव नृत्य करते सृष्टि का रखवाला
हे गिरिजापति भोलेनाथ मोहिनी रूप निहाला
जीवन का आधार तुम्हीं हो वेद नाम सुतमाला
शरणागत हूँ अर्जी सुन लीजो मोहि पे निहाला
*** शशिकला व्यास ***
?? ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय