शिर ऊँचा कर
शिर ऊँचा कर
हृदय जोश भर
देशप्रेम को दें नूतन स्वर
भीतर बाहर
हम अजरामर
विनयशील हैं नतशिर होकर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
शिर ऊँचा कर
हृदय जोश भर
देशप्रेम को दें नूतन स्वर
भीतर बाहर
हम अजरामर
विनयशील हैं नतशिर होकर
महेश चन्द्र त्रिपाठी