शिक्षक
जो शिक्षित करता हम उसको, शिक्षक कह सकते हैं।
जो दीक्षित करता हम उसको, शिक्षक कह सकते है।
दिशा दिखाये दे दृष्टांत, आगाह करे, अपनाए,
प्रतिरक्षित करता हम उसको, शिक्षक कह सकते हैं।।
दे कर अक्षरज्ञान चढ़ाये, शिक्षा के सोपान।
अनुशासन, जीवन संस्कृति का, देता जो संज्ञान।
धर्म, कर्म, सौहार्द, प्रेम का, देता है जो ज्ञान।
दे शिक्षा सेवार्थ कराता है, हमको प्रस्थान।
परिमार्जित करता हम उसको, शिक्षक कह सकते हैं।।
युगों-युगों से चली आ रही, है जो परम्पराएँ।
प्रलय प्रभंजन से ले कर, अवतारों की गाथाएँ।
लिख जाए जो परिवर्तन की, आधारभूत रचनाएँ।
जो शिक्षा को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी समझाएँ।
परिवर्धित करता हम उसको, शिक्षक कह सकते हैं।।
सौर जगत् का शिरोधार्य, पारसमणि है ज्यूँ दिनकर।
जीव जगत् का अहोभाग्य, मानवमणि है इस भू पर।
गुरु गोविन्द से भी भारी है, गुरु चरणों को छू कर।
श्रीगणेश करते, महा अष्टविनायक का पूजन कर।
अभिमंत्रित करता हम उसको, शिक्षक कह सकते है।।
गुरु की महिमा अपरंपार, बखानी है ग्रंथों ने।
सुर, मुनि, असुर, देव, दानव, ज्ञानी, समस्त पंथों ने।
क्या पुराण, क्या वेद शास्त्र के, रचयिता संतों ने।
मठ, मंदिर के, पीठों के आचार्यों ने,पन्तों ने।
स्थापित करता हम उसको, शिक्षक कह सकते है।।