*”शिक्षक”*
“शिक्षक”
आपकी राय में शिक्षक में वह कौन सा गुण है, जो आज के दौर में परम आवश्यक है।
आधुनिक युग में शिक्षक मार्ग प्रदर्शक के रूप में प्रमुख व्यक्ति होता है ,जो धरती से आसमान की ऊंचाइयों तक पहुँचने का एक माध्यम है। जिसमे शिक्षक की अहम भूमिका किरदार उन सीढ़ी के जैसा होता है जीवन के लक्ष्य की पूर्ति के लिए माध्यम बनाया जाता है और सपनों की उड़ान भरते हुए अटूट विश्वास के साथ कल्पनाओं मे खो जाने का सशक्त माध्यम है।
मनुष्य जीवन की पहली पाठशाला घर परिवार में माता -पिता, भाई – बहन बड़े बुजुर्गों की छाँव तले उनकी उँगलियाँ पकड़कर दुनियादारी की समझ संस्कारवान बनने तक एक शिक्षित व्यक्ति के आदर्श जीवन जीने में निहित रहता है।
शिक्षा का परम उद्देश्य युवा पीढ़ी के चरित्र निर्माण व बहुमूल्य गुणों को बाहर निकालने सोचने समझने, सीखने की क्षमताओं में वृद्धिकरता है। युवा पीढ़ी को कल्पनाशील ,सृजनात्मक विकासशील देशों में भविष्य की चुनोतियो का सामना करते हुए प्रतिस्पर्धा में खरे उतरने के लिए सुवर्णिम अवसर प्रदान करता है।
सामान्यतः प्रक्रिया में शिक्षक छात्रों को सर्वोत्तम परिणाम देने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं और इसके विपरीत परिस्थितियों में छात्रों के ध्यान विषय वस्तु से ना हटे एक जगह केन्द्रित कर जो बच्चे पढ़ने में कमजोर हो उनकी कमियाँ देखते हुए और अधिक मात्रा में सीखने की प्रवृति क्षमताओं को विकसित करना विशेषकर शिक्षकों का उत्तरदायित्व व वास्तविकता को बतलाता है।
शिक्षकों को ज्ञानवर्धक जानकारियों के अलावा जीवन से जुड़ी हुई गतिविधियों से अवगत कराते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों, साहित्यिक भाषाओं का ज्ञान ,संस्कारपूर्ण आचरण,आदर्श महापुरुषों की घटनाएँ, चरित्र निर्माण में सहायक बातें को भी शामिल करते हुए केन्द्रित करना चाहिए ताकि सम्पूर्ण देश में एक सच्चा नागरिक बन सकें।
शिक्षक के बौद्धिक क्षमता एवं सार्वभौमिक खोजों से भी नये सैद्धान्तिक प्रयोगों से सभ्यता की विरासत व सामाजिक मूल्यों की जानकारियाँ भी मिलते रहना चाहिए।
आधुनिक प्रौधोगिकी की सहायता से भी छात्रों का विकास ज्ञान प्राप्ति कल्पनाओं स्वत्रंतता स्वछंद विचारों में घुल मिल जाता है और उपयुक्त माहौल का निर्माण के अलावा ज्ञानार्जन की पूर्ण प्रक्रिया का परिणाम शिक्षक के पेशेवर प्रतिष्ठा और आत्म विश्वास की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है इन सब का उदय होना ही दृढ़ता पूर्वक सारी बाधाओं को पार करते हुए रुपरेखा तैयार करते हुए उत्पादन प्रणाली में विकसित होकर लाभदायक सिद्ध होता है।
शिक्षण संस्थानों का उद्देश्य युवा पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण कार्यो विभिन्न गतिविधियों द्वारा अनुभवों से ज्ञान प्राप्त करने में सदृढ़ता आती है और युवाओं में विशिष्ट नेतृत्वकारी गुण मौजूद होते हैं यही शिक्षक के प्रेरणा स्त्रोत्र होना चाहिए
शिक्षक को गौरवमान प्रतिभा कीर्तिमान स्थापित कर अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए प्रगति के सोपानों पर ज्ञानमयी प्रवाहित कर निरन्तर सफलता की ओर अग्रसर होना चाहिए।
शिक्षकों की प्रतिभा को निखारने का यही सुअवसर होता है विभिन्न गतिविधियों में छात्रों की गुणवत्ता को ध्यान में रखकर आत्म विश्वास
जागृत कर नई चेतना ,एकाग्रता की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में निरन्तर अभ्यास नियमित्तता कार्यो के प्रति रुझान ,समर्पणभाव समय का बहुमूल्य कीमती सपनों को हकीकत में बदलने का प्रयास भी परम् आवश्यक होता है।
शिक्षक के विशेष उपलब्धियों का सम्मान प्राप्तकर्ता द्वारा निर्धारित रहता है ” शिक्षा का उद्देश्य -सत्यता की खोज ” इसी केंद्र बिंदु पर टिका हुआ रहता है और जब युवा पीढ़ी को जिन विषयों पर कठिनाई जिज्ञासायें उत्पन्न होती है, उस पूर्णतः जिज्ञासा को शांत करने या समझाने के लिए शिक्षक (इनसाइक्लोपीडिया ) ज्ञान का भंडार साबित हो ताकि उचित मार्गदर्शन में युवाओं को वास्तविक स्वरूप में सही तरीके से पूर्णतः वृहत जानकारियाँ प्राप्त हो सके।
मानवीय संवेदनाओं गतिविधियों के हरेक क्षेत्रों में प्रचार प्रसार करते हुए शिक्षकों की अहम भूमिका निभाई जानी चाहिए ।
शिक्षक अपने ज्ञान के प्रकाश से अनेकों दीप प्रज्वलित कर आशा व विश्वास के साथ में युवाओं का मूल्यांकन कर शिक्षण संस्थानों में प्रथमिक, माध्यमिक, उच्चतर स्कूलों से कॉलेजों तक कई दशकों में साक्षरता मिशन पर भी हरेक पीढ़ियों के उज्जवल भविष्य को सँवार कर जीवन को सशक्त माध्यम बनाया जाना चाहिए।
शिक्षक को शास्त्रों का ज्ञाता ,सरल ,संयमी, उदार प्रवृति ,परोपकारी,आचार विचार में अदभुत सादा जीवन हो स्मरण मात्र से ही एक अटूट विश्वास जाग उठे और उनका व्यक्तित्व आलोकित करता हुआ सम्रग दर्शन से ही साधारण मनुष्य कहाँ से कहाँ तक पहुँच जाए
सच्चा शिक्षक ज्ञान मार्गदर्शक सही गलत का अनुभव कराते हुए गलतियों को सही प्रारूप देते हुए भटकते मार्ग को प्रशस्त कर नवीन ऊर्जा का संचार करे।
शिक्षकों के गुणों का विकास सजगता पूर्ण नई जानकारियों से परिपूर्ण हो जिसे युवा पीढ़ी अपनी कठिन परिश्रम एवं लगन से भविष्य में इंजीनयर, डॉक्टर, वैज्ञानिक,वकील, शिक्षक,या अन्य संस्थानों में जुड़कर एक कामयाब इंसान बन सकता है।
नई टेक्नालॉजी व नवीन पाठ्यक्रमों से रुपरेखा ही बदल गई है इंटरनेट के जरिये विभिन्न हासिल किया जा सकता है लेकिन जो ज्ञान प्रत्यक्ष रूप से शिक्षक द्वारा दी जाती है वह व्यवहारिक ,प्रयोगात्मक रूप से सहायक होती है।
जीवन के हरेक क्षेत्र में शिक्षक की अहम भूमिका निभाई जाती है जो बचपन से लेकर अंनत यात्रा तक चलते ही रहती है वेद वेदांत का ज्ञाता उदारता पूर्ण सरल चित्त वाला परोपकारी आचार विचार को मिटाकर पवित्र सरोवर में डुबकी लगवाता है ।
शिक्षक या गुरु की ज्ञान की शक्ति भ्रमित मन को सभी संदेहों को दूर करते हुए तनमन दिमाग बुद्धि को ज्ञान के सागर में गोते लगाने के लिए तैयार करता है और एक अदभुत शक्ति का प्रदर्शन करते हुए नई पीढ़ी को नई राह आसान करते हुए दिखलाता है।
जय श्री राधेय जय श्री कृष्णा ?