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11 Apr 2020 · 1 min read

शिक्षक, सर्वश्रेष्ठ

शिक्षक सम संसार में हितकारी ना कोइ।
सकल सृष्टि के भाग्य का एक विधाता सोइ।।

कहिए द्विज, शिक्षक, गुरु या कहिए उस्ताद।
परमेश्वर को पूजिए गुरु पूजन के बाद।।

लेकर गुरु की चरण- रज मस्तक तिलक रचाय।
संजय ऐसे शिष्य पर शारद होयँ सहाय।।

शिक्षक के सम्मान को पहुंचाए जो चोट।
उस नेता के पक्ष में कभी न करना वोट।।

बनता अगर कलेक्टर रहता धक्के खाय।
बलिहारी माँ बाप की शिक्षक दियो बनाय।।

खुद अध्ययन करता रहे, रहे बाँटता ज्ञान।
खुद सीखे यदि अनवरत दूर करे अज्ञान।।

औरन को भल बनन की बांटो तभी सलाह।
जब तेरे खुद के चरण सही पकड़ लें राह।।

करे मनन चिंतन सदा दूर करे निज खोंट।
निर्विकार बन तब करे परदोषों पर चोट।।

अपने अवगुण ज्ञात कर व्यापक करो प्रचार।
रिपु में यदि सदगुण दिखे तुरत हृदय में धार।।

अपनी कमियाँ प्रकट कर दोष अन्य के गोय।
यद्यपि सो जन गुण रहित पर सर्वोत्तम होय।।

संजय नारायण

Language: Hindi
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