“शिक्षक दिवस और मैं”
“शिक्षक दिवस और मैं”
मैंने जो कुछ सीखा है, अपने माता-पिता और अपने गुरुओं से सीखा है और वही अपने छात्रों को सिखाने का प्रयास करता रहा हूं। सच्चाई का पथ, निस्वार्थ सेवा, सबकी मदद, यह उपहार मुझे अपने गुरुओं से मिले हैं। मेरे जीवन में गुरुओं के द्वारा किए गए कार्य व्यवहार और कक्षाएं हर दिन मुझे प्रेरणा देती हैं। आज भी अपने गुरुओं के व्यक्तित्व का अवगाहन करने पर मुझे सीख रूपी नए-नए मोती मिलते हैं।
आज “शिक्षक दिवस” के अवसर पर आप सबकी मिली शुभकामनाओं से अभिभूत हूं। भगवान राम आप सबकी मनोकामना पूर्ण करें। सहयोग बनाए रखें।
धन्यवाद।
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
चंदौसी, सम्भल (उ.प्र.)