शिक्षक दिवस –आर के रस्तोगी
माँ ही मेरी पहली शिक्षक है
क्यों न उसे मै शीश निवाऊ
पढ़ा लिखा कर बड़ा किया है
क्यों न शिक्षक दिवस मनाऊ
पहले जैसे गुरु नही अब रहे
पहले जैसी नहीं अब दीक्षा
पहले जैसे शिष्य नहीं रहे
पहले जैसे नहीं अब शिक्षा
गुरु शिष्य में पहले जैसा
अब रहा नहीं अब नाता
समय के साथ बदल गये
गुरु शिष्य का अब नाता
शिक्षक दिवस अब बन गया
केवल अब एक किताबी नाता
पहले जैसी अब बात न रही
रह गया कल्पना का नाता
पहले समय में शिष्यों द्वारा
गुरुओ को पूजा जाता था
आज ये अब आलम है भई
उसको शिष्यों द्वारा पीटा जाता
आओ हम सब मिलकर
पहले जैसा ही युग लाये
करे शिशको का आदर हम
तब ही शिक्षा दिवस मनाये
आर के रस्तोगी