शिक्षक की महिमा
शिक्षक की महिमा
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
1-
वे ऐसा काम करते हैं सभी गुणगान करते हैं,
हमें अमरित पिला कर खुद जो अमरित पान करते हैं,
कि उनके पाँव अक्सर शब्द मेरे चूमते रहते,
बहुत ही पूज्य गुरुवर हैं कि विद्या दान करते हैं।
2-
अशिक्षा का जो होता है वो घेरा चीर देते हैं,
वे तेरा ही नहीं अज्ञान मेरा चीर देते हैं,
कि शिक्षक दीप ऐसे हैं हमें रस्ता दिखाने को,
उजाले की किरण से हर अँधेरा चीर देते हैं।
3-
न होती झोपड़ी कोई न ईंटों के ही घर होते,
न उड़ते आसमाँ में हम तरक्की में सिफ़र होते,
ये शिक्षक की ही महिमा है कि जग में राज करते हैं,
अगर होती नहीं शिक्षा तो हम भी जानवर होते।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 03/07/2019