शिक्षक करेंगे कावड़ सेवा
** शिक्षक करेंगे कावड़ – सेवा **
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पाठ – पढ़ाई से क्या लेना-देना।
शिक्षा – शिक्षण को है मिटा देना।
छोड़कर काम पढ़ाई-लिखाई का,
कावड़ियों की सेवा में लगा देना।
शिक्षक करेंगे अब कावड़-सेवा,
नेतागण मिल खाएंगे खोया-मेवा,
सरकारी बुद्धि में शुद्धि भर देना,
कांवड़ियों की सेवा में लगा देना।
रह गया था बस यही काम बाकी,
हर सोमवार को कांवड़ की झांकी,
शिक्षक को तुम मदारी बना देना।
कांवड़ियों की सेवा में लगा देना।
कैसे तुगलकी फरमान सरकारी,
कब आ पाएगी अधिगम की बारी,
नन्हे – मुन्नों की संभाल कर लेना।
कांवड़ियों की सेवा में लगा देना।
सरकार समझे अध्यापक तरकारी,
चलती इन्ही पर ही उनकी सरदारी,
परिवार उनका भी है समझ लेना।
कांवड़ियों की सेवा में लगा देना।
मनसीरत शिक्षक है राष्ट्र निर्माता,
शेष हैं काम जो न करवाया जाता।
दीपक विद्या का भी जगा देना।
कांवड़ियों की सेवा में लगा देना।
पथ – पढ़ाई से क्या लेना – देना।
शिक्षा – शिक्षण को है मिटा देना।
छोड़कर काम पढ़ाई-लिखाई का।
कांवड़ियों की सेवा में लगा देना।
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सुखविन्दर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)