शिक्षक और विद्यार्थी
शिक्षक और विद्यार्थी
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हमारे जीवन में शिक्षा और शिक्षक की महती भूमिका से आज भला कौन नकार सकता है।अच्छी शिक्षा के लिए जहाँ अच्छे शिक्षकों की आवश्यकता है,वहीं सद्चरित्र, मेहनती और सुसंकल्पित विद्यार्थियों का होना भी आवश्यक है।
इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि शिक्षक अपने दायित्वों का यथा संभव निर्वाह तो करते हैं,परंतु उन पर शिक्षा के अतिरिक्त थोपे जा रहे दायित्वों के कारण कहीं न कहीं शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो रही है।जिसका प्रभाव बच्चों के न केवल शैक्षणिक बल्कि मानसिक और बौद्धिक विकास प्रभावित हो रहे हैं।यही नहीं इसके अलावा शिक्षकों की राजनीतिक क्षेत्रों में सम्मिलित होने से विद्यालय राजनीति का अखाड़ा भी बनते देखे जा रहे है।बहुतेरे राजनैतिक महत्वाकांक्षा पाले शिक्षक विद्यार्थियों को अपने निजी फायदे के लिए इस्तेमाल करने लग जाते हैं।डिग्री कालेज और विश्वविद्यालय तो राजनीति का अड्डा बनते जा रहे हैं।हर पार्टी यहाँ अपने वजूद को लेकर संघर्ष करती है।छात्र संघ चुनावों में भी राजनीतिक दल पर्दे के पीछे से अपने अपने प्रत्याशियों के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाती रहती हैं।छात्र भी अपनी विचारधारा की पार्टियों के साथ होते हैं।जिसका परिणाम बहुत बार संघर्ष, हथियारों का प्रयोग और जान जाते भी दिख ही जाता है।जिससे शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।
जबकि होना तो यह चाहिए कि शिक्षक, विद्यार्थी, और स्कूल कालेज राजनीति से बाहर रहें।शिक्षक को सिर्फ शिक्षण कार्य ही करने दिया जाय।वे अपने गुरुतर दायित्वों का पूरी ईमानदारी से निर्वहन करें और सम्मान प्राप्त करें।उन्हें यह भी सोचना होगा कि उन्हीं के विद्यार्थी उनके साथ अभद्रतापूर्ण व्यवहार क्यों करते हैं।बहुत बार तो शिक्षकों से मारपीट की खबरें भी आती हैं।
जबकि विद्यार्थियों का भी ये दायित्व बनता है कि वे शिक्षकों से आदरपूर्ण व्यवहार करें, सम्मान करें,उनसे अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करें।अपना ध्यान सिर्फ़ शिक्षा प्राप्त करने में लगायें।स्कूलों कालेजों में शैक्षणिक वातावरण बनाने में अपनी भूमिका का निर्वाह करें।तभी शिक्षा का स्तर बढ़ेगा। सब अपनी मनमानियाँ बंद करें।तभी शिक्षकों विद्यार्थियों में आपसी सामंजस्य और अनुशासन का प्रभाव दिखेगा।इसी में सबकी भलाई भी है।
सरकार भी अपने दायित्वों का बिना भेदभाव के अपनी जिम्मेदारी समझे।इसी में राष्ट्र और समाज की भलाई है।
@सुधीर श्रीवास्तव