शिक़ायत (एक ग़ज़ल)
हक़ीक़त में हुई है आप से
क़यामत हो गई है आप से
गृह प्रवेश दिल में हमारे
विधिवत हो गई है आपसे
दोस्ती निभ नहीं सकती है अब
मोहब्बत हो गई है आप से
बात बातों में ही हुई है ये सही
शिक़ायत हो गई है आपसे
मुहब्बत जैसे घटती जा रही है
मिलावट हो गई है आपसे
~ विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar