शिकस्तहाल, परेशान, गमज़दा हूँ मैं,
शिकस्तहाल, परेशान, गमज़दा हूँ मैं,
किसी से भी नहीं, खुद से ही अब ख़फा हूँ मैं,
मुजस्समा हूँ,, किसी संगतराश का…टूटा
बिगड़ गई हो जो बन के वो दास्ता हूँ मैं,
कहाँ मैं सुर्खरू हूँ.. रौशनी के झिलमिल में,
चराग ए बाम का धीमा सा उजाला हूँ मैं,,
तुम्हारे इल्म से भी पेशतर बहुत कुछ हूँ,,
हया हूँ.. नूर हूँ.. हूँ पाक़ और वफ़ा हूँ मैं,,
मेरे पते पे सुनो कोई ख़त नहीं भेजो,,
बहुत दिनों से अपने घर से लापता हूँ मैं,,
मुझे न तोलो किसी और के क़ाबिलपन से,,
हुनर में दूसरों से थोड़ी अलहदा हूँ मैं..