शार्दूलविकीडित ( छंद सरस्वती वंदना )
शार्दूल विक्रीडित छंद
मगण सगण जगण सगण
तगण तगण गुरू।
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयाँ ।
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सरस्वती वंदना
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देवी है विनती विशेष तुझसे,
लाचार हैं तार दे ।
वीणा के सुर में भरे उर सने,
अज्ञान को मार दे ।
तू ही लाज रखे सदा भगवती,
आनंद की गंध दे ।
हाथों हाथ बढ़े सुप्रीति जगमें,
फूलों भरे छंद दे ।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश