शारदीय नवरात्र
शारदीय नवरात्र
सच तो माता की शान निराली होती है। नवरात्रों में इतिहास तो बस इतना है की माता के नौ रूपों की पूजा उपासना होती है प्रथम शैलपुत्री दूसरी ब्रह्मचारी तीसरी चंद्रघंटा चौथी कुष्मांडा पांचवीं स्कंदमाता छठी कात्यायनी सातवीं कालरात्रि आठवी महागौरी और नवीं सिद्धिदात्री स्वरूपों की पूजा होती है। सच तो आदिशक्ति मां दुर्गा के रूपों को हम सभी मां शेरावाली मां जोता वाली मां पहाड़ा वाली मां वैष्णो देवी की बहुत से प्रचलित नाम से पूजते हैं। और वर्ष में नवरात्रि दो बार आते हैं वैसे तो नवरात्रि वर्ष में गुप्त नवरात्रि भी आते हैं परंतु चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र आते हैं।
हम सभी मानवता और समाज के साथ अपने ईश्वर के स्वरूप माता दुर्गा की उपासना और पूजा को महत्व देते हैं जिससे हम सभी को मानसिक शांति और समृद्धि के साथ-साथ अन्य कर्म फल भी प्राप्त होते हैं परंतु जीवन के सांसारिक मोह माया में सभी कुछ क्षणभंगुर और नश्वर है। एक सच के साथ शारदीय नवरात्रि हूं या चैत्र के नवरात्रि परंतु हम सभी ईश्वर की उपासना में सात्विकता और नियम बहुत जरूरी होते है। और ईश्वर की उपासना के लिए हम सभी भक्त जो की भक्ति के साथ जीवन की कामनाओं को सांसारिक रूप में मन्नत या दुआ के रूप में या प्रार्थना के रूप में मांगते हैं बस यही एक मानव का जीवन है और सभी मानव अपने जीवन में सुख समृद्धि और आनंद वैभव मांगते हैं कोई भी मानव दुख तकलीफ नहीं मांगता है क्योंकि हम सभी मानवों को जीवन से मोह और सांसारिक आकर्षण में हम लिप्त रहते हैं। शारदीय नवरात्रि में हम सभी मां दुर्गा और भगवान श्री राम की पूजा उपासना को महत्व देते हैं। शारदी नवरात्रि के तुरंत बाद रामनवमी और दशहरा आता है इसलिए भी शारदीय नवरात्रि का महत्व बहुत बढ़ जाता है।
नवरात्रों में हम मां दुर्गा की नौ रूपों में दुर्गा सप्तशती में बहुत सी कथाएं पढ़ते हैं जिसमें महिषासुर मर्दिनी का वर्णन बहुत महत्वपूर्ण है। वैसे तो आज आधुनिक समाज में हम गूगल पर किसी भी रूप में कोई भी अक्षर के साथ कुछ भी पढ़ सकते हैं परंतु जो सच है वह यही है की मां अपने नौ रूपों में विराजमान रहती है। अम्मा दुर्गा के नौ रूप भी एक प्रचलित कथा है सती दहा की तो यह नौ रूप मां दुर्गा के अंगों के गिरने से भी प्रचलित हुई हैं और वही मां दुर्गा की शक्तिपीठ की स्थापना हुई है जैसे वैष्णो देवी कांगड़ा देवी पूर्णागिरि माता शाकंभरी माता और भी ऐसे बहुत से भारत में मां दुर्गा की शक्तिपीठ हैं जहां हम मां दुर्गा की सच और आशीर्वाद की कामना कर सकते हैं मां दुर्गा की व्याख्यान करना तो बहुत मुश्किल है परंतु जानकारी के अनुसार हम सभी शारदीय नवरात्रों या चैत्र नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं और जिसे हम ज्ञान बैराग सांसारिक मोह माया की विषय में जानकारी भी ले सकते हैं साथ ही साथ हम मां वैष्णो देवी या मां दुर्गा की रूपों की उपासना करके मां का आशीर्वाद सुख समृद्धि और मनवांछित फल भी पा सकते हैं।
जय माता दी जय जय मां या जय मां शेरावाली यह सब मां के जयकारे हैं और यह अपने में एक मंत्र भी हैं आओ हम सभी शरद दिए नवरात्रों में मां दुर्गा की उपासना करते हैं और मन से ही मनचाही मुराद मांगते हैं।
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः।
जय माता दी सभी पाठकों को आप सभी से प्रतिक्रिया की आशा हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र