शायरी
अगर सच हो जाते सब के ख्वाब
तो क्या काम था सपनो का
यूं ही लोग फनाह नहीं होते
इश्क और मोहोब्बत के जालों में !!
रूसवाई भी सहते हैं
दुःख दर्द भी उठाते हैं
जन नहीं मिलता उनको
सच्चा प्यार करने वाला जमाने में
अजीत
अगर सच हो जाते सब के ख्वाब
तो क्या काम था सपनो का
यूं ही लोग फनाह नहीं होते
इश्क और मोहोब्बत के जालों में !!
रूसवाई भी सहते हैं
दुःख दर्द भी उठाते हैं
जन नहीं मिलता उनको
सच्चा प्यार करने वाला जमाने में
अजीत