शायरी
कभी आज तक न कोई
तोड़ के लाया है , आसमान से तारे
फिर क्यूं, ऐसे अरमान, तू
पाल लेता है , अपने सनम के लिए प्यारे
अजीत
माला का टूट के बिखर जाना,
प्यार के पलों का बिखर जाना
दिल पर लगी चोट का न उभर पाना
इंसान न जाने क्या क्या सोच कर
खुद को परेशां किया करता है
वो सच्ची मोहोब्बत नहीं थी,
क्यूं ? फिर यार घबराता है
अजीत