शायरी
बेदर्द जमाने में दर्द बहुत हैं
पर मैंने तो देखा यहाँ
खुदगर्ज बहुत हैं
बेवजह में टांग अडाने वाले
परेशां इंसान बहुत हैं , और
सच्ची राह दिखने वाले
खुदा के परवाने भी बहुत हैं !!
यूं ही नहीं बात करते हम तुम से
कुछ न कुछ तो जरूर देखा होगा
जो तुम आज तक शायद
हम को कुछ भी नहीं समझते
दिल से चाह है, दिल से माना है
फिर भी , अपनी निगाह
तुम हर पर नहीं करते !!
अजीत तलवार